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दो से चार -05-Jan-2022

भाग 12 


जैसे ही दोपहर के दो बज गये, आशा तुरंत चैट पर आ गई। आशा को कुमार से अभी भी वो जवाब नहीं मिला जो वह चाहती थी । इसलिए उसने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा

"सर, मेरा मतलब है कि क्या आपकी जिंदगी में कभी कोई लड़की नहीं आई" ? 

काफी देर सोचने विचारने के बाद कुमार का जवाब आया "मैं शादी तक ये प्यार व्यार जानता ही नहीं था । और मेरा मानना था कि या तो प्यार ऐसा करो जिसकी परिणति शादी में हो या फिर जिससे शादी हो उससे ही प्यार करो ।  इसलिए मुझे नहीं पता कि कोई लड़की कभी मुझे प्यार करती थी या नहीं ? मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था जिसे प्यार कहा जाये । हां, अगर तुम जानना ही चाहती हो तो मैं उन लड़कियों के बारे में कुछ बातें बता सकता हूं जो मेरे संपर्क में आईं थीं । उन बातों से तुम ही जान लेना कि वे प्यार में थीं या नहीं" । कुमार ने सकुचाते हुए लिखा ।

आशा की तो बांछें खिल गई। मजा आ गया। सर की जिंदगी के कुछ "सीक्रेट" किस्से सुनने को मिलेंगे उसे । इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी  । ऐसा मौका कौन छोड़ेगा भला ?  उसने तुरंत लिखा 
"सर, बताइए ना प्लीज़" 
कुमार ने बताना शुरू किया "जब वह कॉलेज में पढ़ता था और छुट्टियों में घर आता था तब उनके पड़ोस में रहने वाली एक लड़की तुरन्त उनके घर आ जाती थी और खूब देर तक बातें करती थी । पर अधिकतर समय वह "दांत फाड़ती" रहती थी । मतलब "हा हा हू हू ही ही" करके हंसती रहती थी । कई बार उसने उसे कहा भी था कि वह हरदम "खी खी खी खी" करती रहती है, कभी तो ढंग से रहा कर । मगर इस बात पर भी वह दांत फाड़ती रहती थी । वह मेरी बात या डांट का भी बुरा नहीं मानती थी । कभी कभी तो वह लड़की मेरे कमरे में भी घुस आती थी और काफी देर तक बातें करती रहती थी। बस, इतना ही था उसके साथ, इससे ज्यादा नहीं । अब क्या इसे प्यार कहेंगे" ? 

आशा ने लिखा "सर, ये अल्हड़ उम्र का प्यार था जिसे वह खुद भी नहीं जानती थी । बस, उसे आपसे बातें करना अच्छा लगता था । आपका साथ उसे अच्छा लगता था । इसलिए वह आपके आगे पीछे घूमती रहती थी । लेकिन आपने इसे आगे नहीं बढ़ाया । उसने तो अपनी ओर से पूरी पहल की थी मगर आप वहीं के वहीं खड़े रहे । इसलिए बात बनी नहीं । मगर मेरा मानना है कि उसके दिल में आपके लिए प्यार था" 

"आप तो ऐसे कह रहीं हैं जैसे कि आप इस विषय की एक्सपर्ट हैं । जैसे आपने इसमें पी एच डी कर रखी हो" ? कुमार ने व्यंग्य कसा ।

आशा मन ही मन मुस्कुराई और सोचने लगी कि सर ऐसी कौन सी लड़की है जो आपके संपर्क में आये और आप पर "फिदा" ना हो । इस बात को हमसे बेहतर और कौन जान सकता है ?

उसने चैट में लिखा "सर, हम कोई एक्सपर्ट नहीं हैं । हम तो एक साधारण से इंसान हैं । मगर लड़की होने के नाते लड़कियों के मन में क्या रहता है यह तो जानते ही हैं ना । उस लड़की के दिल और दिमाग में उस समय आप ही आप छाए हुए थे । इसलिए वह आपके आते ही आपके घर आ जाती थी। घंटों बातें करती रहती थी आपसे । आपके साथ अधिक से अधिक समय गुजारना चाहती थी वह । ये प्यार ही तो था उसका । मगर आप समझे ही नहीं तो वो क्या करती। सीधे सीधे कहने की हिम्मत थी नहीं उसमें" ? 

कुमार ने लिखा "मगर उसने कभी कहा ही नहीं कि वह प्यार करती है। तो ऐसे कैसे पता चलेगा किसी को" ? 

आशा खूब हंसी । कुमार भोले हैं यह तो वह जानती थी मगर  इतने भोले होंगे , ऐसा नहीं सोचा था उसने। मन ही मन सोचने लगी कि वो लड़की ही क्यों , हम भी तो आपसे प्यार करते हैं । मगर आपको पता चला ? नहीं ना । अब चौराहे पर तो ढिंढोरा नहीं पीट सकते हैं ना कि 

"ओ मुझे प्यार हुआ प्यार हुआ, अल्लाह मियां" ऐसे तो नहीं चिल्ला सकते हैं न ।

आशा ने चैट में लिखा "सर, लड़कियां इशारों में अपनी बात कहतीं हैं । कभी भी आगे से नहीं बोलतीं 'आई लव यू" । पहल करने का काम लड़कों का होता है । यहां तक कि लड़का जब आई लव यू बोलता है तो लड़की केवल मुस्कुरा कर ही हां कह देती है । मुंह से कुछ नहीं बोलती है । कोई कोई लड़की सचिन तेंदुलकर की पत्नी की तरह ही बोल पाती है , हर एक नहीं । तो , ये थी आपकी जिंदगी में आने वाली पहली लड़की ? अब आगे बताइए" 

कुमार हंसा "अरे, तुमने मुझे क्या समझ रखा है ? मैं क्या कोई "लवर ब्वॉय" था जो दिल हथेली पर रखकर घूमता रहता था" ? 

"सर , माना कि आप लवर बॉय नहीं थे मगर आपके व्यक्तित्व का जो आकर्षण है , उससे तो इंकार नहीं कर सकते हैं ना । उसके कारण ही बहुत सारी लड़कियां आपके इर्द-गिर्द मंडराती होंगी ना" ? 

"मैं जब कॉलेज में कानपुर में पढ़ता था तो हमारे मौहल्ले में एक लड़की रहती थी । मेरे दोस्त जब भी आते तो हम लोग थोड़ी देर ऊपर छत पर चले जाते थे। तीन चार मकान आगे एक लड़की भी अपने घर की छत पर आ गयी थी । मेरे एक दोस्त ने उस लड़की को देखकर उसे हाथ हिला कर "हैलो" बोला । उस लड़की ने भी वहीं छत से अपना हाथ हिला दिया । बस, फिर क्या था ? मेरा दोस्त बहुत उतावला हो गया और कहने लगा कि एक "लव लेटर" लिखते हैं और उसे उस लड़की को देकर आते हैं । मैं घबरा रहा था । अगर कल को कोई बात होगी तो सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ जाएगी । मैंने बहुत मना किया मगर वे नहीं माने और मेरे कमरे में ही बैठकर उन्होंने एक "लव लैटर" लिखा । मुझसे कहा "चल , इसे देकर आते हैं । आज तुझे भी सिखाते हैं कि प्रेम में क्या क्या करना होता है ? मैंने कहा , भाई लोगों मुझे तो माफ़ करो । तुम लोग ही चले जाओ । वे बोले , ऐसे कैसे ? और वे मुझे जबरदस्ती साथ ले गए । हम उसके मकान के पास पहुंचे । वह अभी भी छत पर ही थी । एक दोस्त ने पत्थर उठाया और लव लैटर को उससे बांध दिया फिर उसकी छत पर फेंक दिया । उसने मुस्कुरा कर देखा और उस लव लैटर को लेकर नीचे चली गई। हम लोग मेरे कमरे पर आ गए। 

थोड़ी देर बाद देखा कि वह लड़की भी हमारे घर आ गई । मेरे एक दोस्त ने उसे मेरे कमरे में बुला लिया और वह कमरे में आ भी गयी । मुझे बड़ा डर लग रहा था । मैं तो कमरे से बाहर आ गया । थोड़ी देर में वह लड़की भी बाहर आ गई। 

इतने में हमारी मकान मालकिन आ गई और उन्होंने उस लड़की को डांटकर भगा दिया। बाद में मेरे दोस्तों के जाने के बाद मुझे प्रेम से समझाया 

"देख बेटा, ये लड़के तो बदमाश हैं । तुम एक शरीफ लड़के हो । तुम पढ़ने में भी होशियार हो । तुम्हें तो बहुत बड़ा आदमी बनना है । इन बदमाशों के चंगुल में कहां पड़े हो । दूर रहो इन सबसे और अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित रखो । जब कोई अच्छी नौकरी लग जाएगी तो इससे लाख दर्जे बेहतर लड़की मिल जाएगी । इसलिए , आगे से इस कमरे में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए" ।

मुझे उस वक्त ऐसा महसूस हो रहा था कि यह धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊं । हालांकि मैं निर्दोष था लेकिन मेरे दोस्तों ने तो मेरे कमरे का ग़लत इस्तेमाल किया था । मैं शर्मिंदगी के बोझ से दबा जा रहा था । उस दिन मुझे पता चला कि मेरी मकान मालकिन मेरा कितना खयाल रखती हैं । उस दिन के बाद से उनके प्रति मेरा नजरिया एकदम से बदल गया । अब वे मेरी मकान मालकिन नहीं रहीं बल्कि मां जैसी हो गई" 
इस तरह कुमार ने अपना संस्मरण सुनाया । 

आशा ने कहा "आपको शर्मिंदा होने की आवश्यकता नहीं थी सर, क्योंकि उस घटना में आपकी कोई भूमिका नहीं थी । लेकिन ऐसे दोस्तों से दूर रहना चाहिए था बस" । 

"हां, आप सही कह रही हो । उस दिन के बाद से हमने हमारे दोस्तों को कह दिया था कि अगर ऐसी हरकतें करोगे तो हम अपने कमरे पर नहीं आने देंगे  । उसके बाद ऐसा फिर कभी नहीं हुआ" । 

"कॉलेज लाइफ की और कोई घटना है क्या" ? 

"नहीं। इतना होने के बाद और कुछ कैसे हो सकता है" ? 

"हां , ये बात भी सही है " । 

और इस तरह उस दिन भी चार बज गए। समय के अनुसार चार बजे चैटिंग खत्म करनी थी । बुझे मन से आशा ने चैटिंग खत्म की । 


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6 Comments

Barsha🖤👑

01-Feb-2022 09:07 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

27-Jan-2022 09:34 PM

बहुत ही सुंदर भाग

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Shalu

07-Jan-2022 02:08 PM

Bahut behtarin

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jan-2022 02:56 PM

Thanks

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